वैक्सीन बनाते वक़्त संक्रमित होने पर देगी 3.40 लाख रुपये देगी कम्पनी

दुनियाभर में पांव पसारने के बाद महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस का अबतक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। दुनियाभर के अलग-अलग देशों में वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसका इलाज खोजने में लगे हैं। कोरोना के मरीजों पर एचआईवी की दवा का पॉजिटिव असर तो दिखा, लेकिन हेल्थ जर्नल लैंसेट में प्रकाशित शोध के अनुसार ये दवाएं उतनी कारगर नहीं है। इस बीच ब्रिटेन की एक कंपनी इसका वैक्सीन बनाने के प्रयास में लगी हुई है। यह कंपनी ह्यूमन बॉडी पर अध्ययन करेगी और इसके लिए वॉलेंटियर की बहाली कर रही है।


 आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से:  



कोरोना वायरस से संक्रमण के बढ़ते मामलों ने कई देशों के लोगों को हिलाकर रख दिया है। इस बीच ब्रिटेन की एक कंपनी ने वॉलंटियर बहाल कर मानव शरीर पर प्रयोग करेगी। यह कंपनी कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर बड़ी राशि देगी। इस बारे में एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार इस प्रयोग के दौरान अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो उसे 4,588 डॉलर यानी करीब 3,40,083 रुपये देगी। 


लंदन की क्वीन मैरी बायो इंटरप्राइजेज इनोवेशन सेंटर कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करेन में लगी है और इसी अध्ययन के लिए 24 लोगों की भर्तियां कर रही है। इस रिसर्च के लिए जिन लोगों की भर्ती की जाएगी, उनको पहले कई तरह के स्वास्थ्य जांच से गुजरना होगा। 



सेलेक्ट हो जाने के बाद वॉलंटियर को प्रयोगशाला में रहना होगा और इस दौरान उसके शरीर में कमजोर किए गए कोरोना वायरस को इंजेक्ट किया जाएगा। कंपनी के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वॉलंटियर को कुछ खास दिक्कत नहीं होगी। उन्हें केवल सांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो सकती है। यह कोरोना के शुरुआती लक्षण में भी शामिल है। 


कंपनी का कहना है कि वॉलंटियर को दो सप्ताह तक निगरानी में रखा जाएगा। इस रिसर्च के दौरान वॉलंटियर के शरीर में कोरोना वायरस इंजेक्ट करने के बाद उसे थोड़ा परहेज करना होगा। उसकी डाइट फिक्स रहेगी और उन्हें अन्य लोगों से बिल्कुल अलग रखा जाएगा। उनके किसी प्रकार के श्रम या कसरत करने पर भी पाबंदी रहेगी। 


इस रिसर्च के लिए ब्रिटेन की मेडिसिन रेग्युलेटर मेडिसिन्स ऐंड हेल्थकेयर प्रॉडक्ट्स रेग्युलेटरी एजेंसी ने अनुमति दे दी है। रिसर्च कर रहे चिकित्सक और वैज्ञानिक वॉलंटियर के शरीर में हो रही प्रतिक्रियाओं का अध्यययन करेंगे। दो हफ्ते के दौरान यह देखा जाएगा कि प्रयोग सफल होता है या नहीं।