चर्चा में है भारत का UPI, पिछले साल इसके जरिए हुआ 214 फीसदी अधिक लेन-देन
भारत में लोग डिजिटल लेनदेन के लिए यूपीआई (UPI) यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस का काफी इस्तेमाल करते हैं। यूपीआई के जरिए हर महीने करोड़ों का लेनदेन होता है। 



 

2019 में सबसे ज्यादा हुआ यूपीआई का इस्तेमाल
भारत में ग्राहकों को डिजिटल पेमेंट के लिए यूपीआई रास आने लगा है। साल 2019 में यूपीआई के इस्तेमाल में सबसे ज्यादा तेजी आई है। वर्ल्डलाइन एनुअल इंडिया डिजिटल पेमेंट द्वारा इस संदर्भ में रिपोर्ट भी जारी की। यूपीआई के बाद डिजिटल पेमेंट के लिए डेबिट कार्ड, आईएमपीएस और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सबसे अधिक किया गया है। 

4,462 अरब रुपये की है डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री
पिछले साल 2019 में यूपीआई, डेबिट कार्ड, आईएमपीएस और क्रेडिट कार्ड के जरिए कुल 20 लाख करोड़ से अधिक लेन-देन किया गया। एसोचैम पीडब्ल्यूसी द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री करीब 4,462 अरब रुपये की है। इसके साल 2023 तक 9,310 अरब रुपये से ज्यादा होने की संभावना है। 

पूरे विश्व में डिजिटल पेमेंट में भारत की हिस्सेदारी 1.56 फीसदी है। आगामी चार वर्षों में यह 2.02 फीसदी हो सकती है।

 



यूपीआई 2019 में हुआ 18,36,000 करोड़ रुपये का लेन-देन
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में सबसे ज्यादा डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल पर्सन टू पर्सन लेन-देन के लिए किया गया है और इसके बाद इसके बाद पर्सन टू मर्चेंट। यूपीआई के जरिए 2019 में 18,36,000 करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया। साल 2018 के मुकाबले यह 214 फीसदी अधिक है। आईएमपीएस में साल दर साल 55 फीसदी का इजाफा हुआ है। 2019 में इसके जरिए 21,80,000 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। 2018 के मुकाबले यह 41 फीसदी अधिक है। 

पिछले साल तक 143 बैंक प्रदान करते थे यूपीआई सेवा 
दिसंबर 2019 के अंत तक 143 बैंक यूपीआई सेवा प्रदान कर रही थी। पिछले साल ही नौ और बैंकों ने यूपीआई सेवा देनी शुरू की थी। खास बात ये है कि लेन-देन की संख्या में बढ़ोतरी की मुख्य वजह बैंकों द्वारा यूपीआई 2.0 फीचर का इस्तेमाल करना रही है। इसकी वजह से ग्राहकों को आईपीओ एप्लीकेशन, डोनेशन और विभिन्न कैशबैक व डिस्काउंट बैंक और नॉन बैंकिंग सेवा प्रदाताओं द्वारा ऑफर किए गए हैं।

वैश्विक स्तर पर भी काफी चर्चा में है भारत का UPI
भारत का यूपीआई ना सिर्फ देश में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी काफी चर्चा में है। अब गूगल ने अपने प्रस्तावित 'फेडनाउ' के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व को भारत के यूपीआई का हवाला दिया है। मालूम हो कि फेडनाउ एक नई इंटरबैंक ग्रॉस सेटलमेंट सुविधा है। इसके लिए गूगल ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व बोर्ड को भारतीय यूपीआई सिस्टम की पूरी जानकारी भी दी है।

इस संदर्भ में नवंबर में गूगल ने कहा था कि भारत के चार सबसे बड़े बैंकों के सहयोग से गूगल का यूपीआई कार्य कर रहा है। गूगल की सलाह है कि भारतीय यूपीआई जैसा सिस्टम अमेरिका में भी शुरू किया जाए। इससे फेडनाउ को बेहतर बनाया जा सकेगा।





क्या है यूपीआई ?
यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस एक अंतर बैंक फंड ट्रांसफर की सुविधा है, जिसके जरिए स्मार्टफोन पर फोन नंबर और वर्चुअल आईडी की मदद से पेमेंट की जा सकती है। यह इंटरनेट बैंक फंड ट्रांसफर के मकैनिज्म पर आधारित है। 

ऐसे काम करता है UPI 
एनपीसीआई के द्वारा इस सिस्टम को कंट्रोल किया जाता है। यूजर्स यूपीआई से चंद मिनटों में ही घर बैठे ही पेमेंट के साथ मनी ट्रांसफर करते हैं।   

क्या है आईएमपीएस ?
बता दें कि आईएमपीएस के जरिए ग्राहकों को तत्काल भुगतान सेवा मिलती है। यह सुविधा मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग की मदद से इंटर-बैंक लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है। इसके जरिए ग्राहक एक दिन में दो लाख रुपये तक भेज सकते हैं।