यह सोचकर थोड़ा संतोष किया जा सकता है कि दुनियाभर में रहने लायक सबसे अच्छे मुल्कों की सूची में हमारी स्थिति थोड़ी सुधरी है लेकिन महिलाओं की हैसियत और बच्चों के लालन-पालन के मामले में दुनिया की राय हमारे बारे में आज भी बेहतर नहीं है। यूएस न्यूज, वल्ड रिपोर्ट और वॉर्टन स्कूल द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया में रहने लायक 73 देशों की सूची में भारत 25वें स्थान पर है जबकि पिछले साल हमें 27वा रक मिला था। यह राकग 27वीं रैंक मिली थी।
यह रैंकिंग विभिन्न देशों को लेकर विश्वस्तर पर बनी धारणा के आधार पर की जाती है। व्यापार, निवेश, पर्यटन के माहौल और सामाजिक अन स्थिति जैसी कसौटियों पर लोगों की राय को परखा जाता है। अब जैसे बच्चों के लालन-पालन की दृष्टि से सबसे अच्छे देशों की लिस्ट में भारत को 59वां स्थान दिया गया है। इस मामले में आंतरिक उपद्रव से ग्रस्त केन्या और इजिप्ट जैसे देशों को भी हमसे ऊंची जगह मिली है। हालांकिइस मामले में भी पिछले साल से हमारे हालात थोड़े सुधरे हैं। 2019 में हमारा स्थान इस खाने में 65वां था महिलाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ देशों की सूचा म हमारा मुकाम 58वा ह आर सूची में हमारा मुकाम 58वां है और इस मामले में हम पिछले साल के मुकाबले एक पायदान नीचे फिसले ।
यूएई, कतर और सऊदी अरब जैसे कम स्त्री स्वतंत्रता वाले देशों का यह पहलू हमसे बेहतर है। इन देशों का रूढ़िवादी प्रशासन औरतों को भारत जितने अधिकार नहीं देता लेकिन मामले का एक पहलू यह भी है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध विश्वभर में चर्चा का विषय बनते हैं जबकि इन देशों में इस पक्ष पर ज्यादा बात ही नहीं होती है।2018 थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की ओर से जारी एक सर्वे में भारत को पूरी दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक और असुरक्षित देश बताया गया था। जाहि गया था। जाहिर है, यह राय महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा, मानव तस्करी और यौन व्यापार में धकेले जाने की खबरों के आधार पर ही बनी थीइसके जल्दी बदलने का कोई कारण नहीं है क्योंकि हर दो-चार महीने पर ऐसा कोई न कोई बड़ा हादसा सामने आ ही जाता है। महिला सुरक्षा को लेकर बातें जरूर बड़ी-बड़ी होती हैं लेकिन जमीन पर कुछ खास बदलता नजर नहीं आता है।
भारत में बच्चों की स्थिति को लेकर भी जो राय बनी , उसकी एक बड़ी वजह हाल के दिनों में कुछेक महानगरीय स्कूलों में बच्चों के साथ हुए हादसे ही हैं। यह सही है कि विकास के क्रम में भारत के शहरों में रहन-सहन के स्तर पर सुविधाएं बढ़ी हैं और माहौल बिजनस फ्रेंडली हुआ है लेकिन सक्षम कानूनव्यवस्था, संवेदनशील और सहिष्ण समाज का लक्ष्य अभी हमारे अजेंडा पर ही नहीं है।